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17 Aug 2021 · 1 min read

आदमी

क्यों फँसा कर के झुकाया जा रहा है आदमी
दर्द दे कर क्यों सताया जा रहा है आदमी

ध्यान उसकी हर खुशी रखते न जो कोई तभी
तेज नश्तर सा चुभाया जा रहा है आदमी

जख्म सारे ही सहन करता रहा है अब तलक
क्यों ठिकाने सा लगाया जा रहा है आदमी

चाँद तक की नाप दूरी को जमीं से वो अभी
आसमां अब फिर चढाया जा रहा है आदमी

दुख सभी के फिर मिटा कर औ छिपा आँसू सदा
पीर अपनी को छिपाया जा रहा है आदमी

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
75 Likes · 584 Views
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