Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Nov 2018 · 1 min read

आदमी…?

आदमी क्यूं आदमी से दूर हो गया,
क्यूं पैसे का ईतना गरूर हो गया
ईक ईशारे पे घरवाले नाचते थे जिसके,
आज वो अकेला बेठने पे मजबूर हो गया।
संस्कारो की कमी है या आधुनिकता का दौर,
हर कोई नशे में ईतना क्यूं चूर हो गया।
पके फल मिठे लगते हें सभी को,
पर बुढापा ये कड़वा जरूर हो गया।
सोचा था जिसने अपनो के लिये,
आजकल वो गैरो में मशहूर हो गया।
आदमी क्यूं आदमी से दूर हो गया
क्यूं पैसे का ईतना गरूर हो गया
©®बलकार सिंह हरिवाणवी

Language: Hindi
9 Likes · 6 Comments · 397 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रेम पत्र
प्रेम पत्र
Surinder blackpen
-आगे ही है बढ़ना
-आगे ही है बढ़ना
Seema gupta,Alwar
वो किताब अब भी जिन्दा है।
वो किताब अब भी जिन्दा है।
दुर्गा प्रसाद नाग
#𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
#𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
DrLakshman Jha Parimal
कविता
कविता
Pushpraj devhare
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बेटी
बेटी
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
"ये जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
आप हर पल हर किसी के लिए अच्छा सोचे , उनके अच्छे के लिए सोचे
आप हर पल हर किसी के लिए अच्छा सोचे , उनके अच्छे के लिए सोचे
Raju Gajbhiye
उसे आज़ का अर्जुन होना चाहिए
उसे आज़ का अर्जुन होना चाहिए
Sonam Puneet Dubey
मुझे नज़र आती है
मुझे नज़र आती है
*प्रणय*
बेहिचक बिना नजरे झुकाए वही बात कर सकता है जो निर्दोष है अक्स
बेहिचक बिना नजरे झुकाए वही बात कर सकता है जो निर्दोष है अक्स
Rj Anand Prajapati
प्रेम का प्रदर्शन, प्रेम का अपमान है...!
प्रेम का प्रदर्शन, प्रेम का अपमान है...!
Aarti sirsat
दस्त बदरिया (हास्य-विनोद)
दस्त बदरिया (हास्य-विनोद)
गुमनाम 'बाबा'
बहुत कुछ अरमान थे दिल में हमारे ।
बहुत कुछ अरमान थे दिल में हमारे ।
Rajesh vyas
जिन्दगी से शिकायत न रही
जिन्दगी से शिकायत न रही
Anamika Singh
संतान
संतान
manorath maharaj
बीमार घर/ (नवगीत)
बीमार घर/ (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
*वृद्धावस्था : सात दोहे*
*वृद्धावस्था : सात दोहे*
Ravi Prakash
क्यों हो गया अब हमसे खफ़ा
क्यों हो गया अब हमसे खफ़ा
gurudeenverma198
रिश्तों में  बुझता नहीं,
रिश्तों में बुझता नहीं,
sushil sarna
अटरू ली धनुष लीला
अटरू ली धनुष लीला
मधुसूदन गौतम
ईश्वर के नाम पत्र
ईश्वर के नाम पत्र
Indu Singh
स्वयं का स्वयं पर
स्वयं का स्वयं पर
©️ दामिनी नारायण सिंह
आंसू तुम्हे सुखाने होंगे।
आंसू तुम्हे सुखाने होंगे।
Kumar Kalhans
जीवन है आँखों की पूंजी
जीवन है आँखों की पूंजी
Suryakant Dwivedi
निगाहें प्यार की ऊंची हैं सब दुवाओं से,
निगाहें प्यार की ऊंची हैं सब दुवाओं से,
TAMANNA BILASPURI
तुम आशिक़ हो,, जाओ जाकर अपना इश्क़ संभालो ..
तुम आशिक़ हो,, जाओ जाकर अपना इश्क़ संभालो ..
पूर्वार्थ
Love is some time ❤️
Love is some time ❤️
Otteri Selvakumar
एक आज़ाद परिंदा
एक आज़ाद परिंदा
Shekhar Chandra Mitra
Loading...