आदमी…?
आदमी क्यूं आदमी से दूर हो गया,
क्यूं पैसे का ईतना गरूर हो गया
ईक ईशारे पे घरवाले नाचते थे जिसके,
आज वो अकेला बेठने पे मजबूर हो गया।
संस्कारो की कमी है या आधुनिकता का दौर,
हर कोई नशे में ईतना क्यूं चूर हो गया।
पके फल मिठे लगते हें सभी को,
पर बुढापा ये कड़वा जरूर हो गया।
सोचा था जिसने अपनो के लिये,
आजकल वो गैरो में मशहूर हो गया।
आदमी क्यूं आदमी से दूर हो गया
क्यूं पैसे का ईतना गरूर हो गया
©®बलकार सिंह हरिवाणवी