आदमी की जिंदगी
पूर्व जन्मों के कर्मों से, आदमी जन्म पाता है
पूर्व जन्मों के कर्मों का, खाता भी चुकाता है
पूर्व जन्मों के कर्मों से, नाते रिश्ते मिलते हैं
इसी आधार पर नाते, सभी व्यवहार करते हैं
ऋणानुबंध लेने या देने, संतान भी आती है
पूर्व जन्मों का इस जन्म में, बदला चुकाती है
उदासीन सेवक या दुश्मन, संतान होती है
कर्म बंधन ही तो हैं, जो संसार ढोती है
कर्म करते वक्त यारों, खुद पर नजर रखना
कर्म का फल ही होती है, आदमी की जिंदगी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी