“आदत”
“आदत”
अतीत कितना भी सुन्दर क्यों ना हों, वक्त उस ओर कभी नहीं मुड़ता। वह नित नये सौन्दर्य की सृष्टि करता हुआ निरन्तर आगे बढ़ता है।
-डॉ.किशन टण्डन क्रान्ति
“आदत”
अतीत कितना भी सुन्दर क्यों ना हों, वक्त उस ओर कभी नहीं मुड़ता। वह नित नये सौन्दर्य की सृष्टि करता हुआ निरन्तर आगे बढ़ता है।
-डॉ.किशन टण्डन क्रान्ति