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6 Jul 2021 · 1 min read

आदत सी हो गई हैं

विषय:आदत सी हो गई हैं

अब तो आदत सी हो गई थी
पर न जाने क्यो…
हसरतें अभी फिर से
कुछ जवा सी हो रही है और
बीते वक्त को फिर से याद करने
लगी हैं बचपन मे लौट चल ये
बोलने लगी हैं जहाँ कंचो से
खेलते थे दोस्तो संग ओर
आँखे बचते ही चुरा भी लेना
उन कंचो को कितने रंगीन
मन मोहिने लगते थे उस वक्त वो कंचे
आदत सी हो गई थी
पर न जाने क्यो..
आज न जाने क्यों दिल फिर से बचपन
मैं लौट जाना चाहता है फिर से वही
गलियां वही दोस्त वही मस्ती और
वही माँ की डांट,मार याद आ रही हैं
कौन जी सका है बीते कल के बिना
ज़िन्दगी अपने मुताबिक चलाती हैं हमे
दिल चाहता कुछ और है ओर होता कुछ और
आज फिर याद आये अपने कंचे का वो खेल
वही रंगीन कंचे वही बेफिक्र सा बचपन
आदत सी हो गई थी
पर न जाने क्यो..
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
229 Views
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