आज मैं स्वतंत्र हूँ
इस लोक तन्त्र मे
आज मै स्वतंत्र हूँ
जीत के इस मन्त्र मे
आज भी ज्वलन्त हूँ
कोई नही किसी के दल मे
नेता बनके मैं चलू
सब करे सम्मान तुम्हारा
शीना तानके मैं चलू
हर कोई हे खुद का नेता
सबका नेता मैं बनू
सबको देता वो खुदा है
सबसे लेता मैं फिरू
इस लोकतन्त्र मे
आज मैं स्वतंत्र हूँ
जीत के इस मन्त्र मे
आज भी ज्वलन्त हूँ
जिन्दगी के चार दिन
कर देश का सम्मान तू
मत कर अभिमान तू
हे अन्त के करीब तू
मैं भी नेता तू भी नेता
जिन्दगी के सफर मे
हर कोई अभिनेता
साथ क्या तू लेकर जाये
सब कुछ यही लूटा कर जाये
फिर भी तू स्वतंत्र कहलाये
इस लोकतन्त्र मे
आज मैं स्वतंत्र हूँ
जीत के इस मन्त्र मे
आज भी ज्वलन्त हूँ
फिर भी तू अभिमान करे
किसी का ना सम्मान करे
आज के इस तन्त्र मे
तू क्यों इतना अभिमान करे
इस लोकतन्त्र मे
आज मैं स्वतंत्र हूँ
जीत के इस मन्त्र मे
मैं आज भी ज्वलन्त हूँ
swami ganganiya