आज जरूरत है दुनिया को, एक नेक इंसान की
आज जरूरत है दुनिया को, एक नेक इंसान की
हिंसा द्वेष का करे खात्मा, ऐंसे प्रेम महान की
धर्म के नाम पर काट रहा, क्यों गर्दन इंसान की
क्या काफिर नहीं खुदा का बंदा?
क्या जान नहीं इंसान की?
मरने पर मिल जाएगी जन्नत, हूर मिलेगी काम की
जिंदा है जब तक सोच ले बंदे,?
क्या अक्ल नहीं इंसान की?
किसने देखी है जन्नत, किसने हूरें देखी हैं?
करो न ऐसे कर्म धरा पर, जान जाए इंसान की
आज जरूरत है धरती पर, प्रेम भरे इंसान की
शैतानों को समझा पाए, कीमत इंसानी जान की?
प्रेम शांति फैलाएं जग में, खुदा के उस पैगाम की
सुरेश कुमार चतुर्वेदी