आज की पीढ़ी
इस नए युग की पीढ़ी को,
मै देख बहुत हूँ चिंतित।
भ्रम नगरी में पलते ये सब,
सत्य भान नहीं किंचित।
यूट्यूब ट्विटर फेसबुक,
इंस्टाग्राम और टिक टॉक।
डूबे रहते ये रात दिन,
बस समय कर रहे खाक।
भीड़ भाड़ में रह न पाएं,
मेहनत से भी जी घबराये।
इंटरनेट पर आते ही बस,
इनकी जान में जान आये।
वंहा पर ये सब महापुरुष हैं,
कुछ भी कह दो कर सकते हैं।
पर जैसे ही बाहर आये,
एक गिलास भी न भर सकते हैं।
कैसे इनको बतलायें की,
ये भ्रम नगरी एक धोखा है।
जीवन को तुम समझ न पाये,
इसने ही तुमको रोका है।
इंटरनेट से पेट न भरता,
जल और वायु भी न पाओगे।
मृग तृष्णा में फंसोगे ऐसे,
ये जीवन व्यर्थ गवांओगे।
सच्चाई का करो सामना,
प्रकृति का सत्कार करो।
जीवन देने वाली जननी,
उसका कुछ प्रतिकार करो।
करूँ विनय मै तुम लोगों से,
तुम हो आने वाला कल।
प्रकति के संरछण की,
तुमको अब करनी है पहल।
जो तुमने है ठान लिया,
तो चढ़ते जाओगे ये सीढ़ी।
सुन्दर होगा भविष्य तुम्हारा,
उसके तुम भावी पीढ़ी।