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16 May 2023 · 1 min read

आज का इंसान

आज अपनापन है तो कोई मजबूरी है
मजबूरी दूर हुई तो समझो तुझसे दूरी है
आज के इंसान की यही कहानी है
जब गम है अमृत है, ना तो पानी है
रिश्तों के तरु कब के झड़ गए हैं
घाव पुराने भी अब तो अड़ गए हैं
अनजान डगर देख अचरज नहीं होता
अब गम गहरा देख भी मानव नहीं रोता
दुख-सुख का कोई भाव नजर नहीं आता
बुढ़ापे तक जाए ऐसा अजर नहीं आता।

Language: Hindi
1 Like · 342 Views
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