“आज का आदमी”
“आज का आदमी”
धर्म से प्रेम नहीं
नफरत निरन्तर बढ़ रहे,
आज का आदमी
सन्देह को पनाह देकर
विचार को आचार से
हर रोज अलग कर रहे।
“आज का आदमी”
धर्म से प्रेम नहीं
नफरत निरन्तर बढ़ रहे,
आज का आदमी
सन्देह को पनाह देकर
विचार को आचार से
हर रोज अलग कर रहे।