आजकल मैं भी पैसे बचाने लगा
आजकल मैं भी पैसे बचाने लगा…
रीत जीवन की मैं भी निभाने लगा
आजकल मैं भी पैसे बचाने लगा…
जबसे देखा भिखारी को रोते हुए,
कागज़ों को ठिकाने लगाने लगा
आजकल मैं भी पैसे बचाने लगा…
रीत जीवन की मैं भी निभाने लगा
आजकल मैं भी पैसे बचाने लगा…
एक पैसे की क़ीमत वो ही जानता
एक पैसे की ख़ातिर जो दर छानता।
देखा जबसे फ़क़ीरों को दरबार में,
दूर तबसे फ़क़ीरी से जाने लगा।
आजकल मैं भी पैसे बचाने लगा…
रीत जीवन की मैं भी निभाने लगा
आजकल मैं भी पैसे बचाने लगा…
पत्थरों की चमकने लगी क़िस्मतें
ज़िस्म वालों की लूटी गई अस्मतें।
मुर्दा लाशों पे सर मैं झुकाने लगा
बनके पत्थर, मैं पत्थर सजाने लगा।
आजकल ये सुधीरा भी गाने लगा
आजकल मैं भी पैसे बचाने लगा…
रीत जीवन की मैं भी निभाने लगा
आजकल मैं भी पैसे बचाने लगा…