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16 Dec 2017 · 1 min read

आग घर में

आग घर में लगाना नहीं है
उस धुएँ को बढ़ाना नहीं है

एक बारे लगे जो दिलों में
बस मुहब्बत घटाना नहीं है

बँट गये आज अपने सदा को
पास अब क्यों बुलाना नहीं है

रोज दीवार उठती रहे जो
दूरियाँ ये बढाना नहीं है

दीखता है नहीं वो अदब अब
बाप से मुँह चलाना नहीं है

मात ने जन्म तुझको दिया जब
बात कुछ पर सताना नहीं है

तू सहन शीलता को दिखाए
धैर्य क्यों फिर बढ़ाना नहीं है

बात इतनी मधुर कर हमेशा
शूल तुझको चुभाना नहीं है

मान करना न सीखे कभी तू
पशु तुझे अब बनाना नहीं है

74 Likes · 1 Comment · 561 Views
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