“आग्रह”
ध्यान, आग्रह पर, इतना धर दे,
हो तेरा सानिध्य, कभी वर दे।
ओज नया, पर डगर पुरानी,
पथ आलोकित, मेरा तू कर दे।
बाट जोहता, रहता निशि-दिन,
दर्शन दे, निष्ठुरता को तज दे।
वृद्ध वृक्षसा, कमर झुकी सी,
सम्बलमय, कुछ शब्द, कभी कह दे।
भ्रमर-सदृश, मँडराऊँ तुझ पर,
बन गुलाब, गुन्जार अमर कर दे।
गागर खाली, प्रीत पुरानी,
मुझमें सब, अपने ही रँग, भर दे।
डरूँ नहीं, नैराश्य से तनिक,
“आशा”मय, इक गीत, कभी रच दे..!
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