*आगे आनी चाहिऍं, सब भाषाऍं आज (कुंडलिया)*
आगे आनी चाहिऍं, सब भाषाऍं आज (कुंडलिया)
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आगे आनी चाहिऍं, सब भाषाऍं आज
बने मातृभाषा-परक, अब संपूर्ण समाज
अब संपूर्ण समाज, मातृभाषा में बोले
उन्नति के सब द्वार, सहज ही उठकर खोले
कहते रवि कविराय, विश्व का जन-जन जागे
निज भाषा से प्यार, सदा हो सबसे आगे
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451