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20 Jun 2023 · 1 min read

“आगंतुक”

सारे संसार में कोई नहीं
मौत से बड़ा आगन्तुक,
कुछ नहीं लगता
जिसमें कोई भी परन्तुक।

आने का वक्त हो तो
वो आएगी ही
रुकेगी कहीं नहीं,
वरना लाख पुकारते रहो
वो आती ही नहीं।

दिन हो रात हो
ग्रीष्म शिशिर बरसात हो
राजा हो रंक हो
चाहे कंजूस हो या दानी
डाकू हो महात्मा हो
अनाड़ी हो चाहे ज्ञानी।

वो किसी से फर्क नहीं करती
किसी को पदचाप
उसकी सुनाई नहीं पड़ती
वो दबे पाँव ही आती है,
फिर साथ अपना ले जाती है।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
एक साधारण व्यक्ति

Language: Hindi
7 Likes · 6 Comments · 114 Views
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