Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Apr 2024 · 1 min read

आखिर वो माँ थी

आखिर वो माँ थी। पढ़ी-लिखी ना होकर भी हर रोज बेटे की कॉपियाँ चेक करती। वह राइट और क्रॉस का मतलब बखूबी जानती थी। यही उनकी सीमाएँ भी थीं।

इसके अलावा समय-समय पर बेटे को प्रोत्साहित कर उसका मनोबल बढ़ाती। मगर आज यह क्या? दो कॉपियों में लाल स्याही से कुछ लिखी हुई देखी तो उन्हें लगा कि कुछ तो गड़बड़ है।

काम से लौटकर शाम को पति के घर आने पर उसने कहा- ‘जीतू से कॉपी मंगाकर तो देखो। आज कुछ तो गड़बड़ है।’

कॉपी को देखते ही पिता हँस पड़े। कॉपी में लाल स्याही से ‘एक्सीलेंट’ लिखा था। मगर उनकी हँसी बच्चे की काबिलियत से अधिक बच्चे की माँ की मासूमियत पर थी।

प्रकाशित लघुकथा-संग्रह : ‘मन की आँखें’ (दलहा, भाग-1) से,,,,

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
अमेरिकन एक्सीलेंट राइटर अवार्ड प्राप्त।

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 152 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

व्यंग्य क्षणिकाएं
व्यंग्य क्षणिकाएं
Suryakant Dwivedi
विचित्र
विचित्र
उमा झा
खुशियों से भी चेहरे नम होते है।
खुशियों से भी चेहरे नम होते है।
Taj Mohammad
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
3590.💐 *पूर्णिका* 💐
3590.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मन सोचता है...
मन सोचता है...
Harminder Kaur
*दिल से*
*दिल से*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
..
..
*प्रणय*
दौलत -दौलत ना करें (प्यासा के कुंडलियां)
दौलत -दौलत ना करें (प्यासा के कुंडलियां)
Vijay kumar Pandey
धर्म पर हंसते ही हो या फिर धर्म का सार भी जानते हो,
धर्म पर हंसते ही हो या फिर धर्म का सार भी जानते हो,
Anamika Tiwari 'annpurna '
बेवजह ही रिश्ता बनाया जाता
बेवजह ही रिश्ता बनाया जाता
Keshav kishor Kumar
सिलवटें
सिलवटें
Vivek Pandey
जिंदा हूँ अभी मैं और याद है सब कुछ मुझको
जिंदा हूँ अभी मैं और याद है सब कुछ मुझको
gurudeenverma198
रिश्ता मेरा नींद से, इसीलिए है खास
रिश्ता मेरा नींद से, इसीलिए है खास
RAMESH SHARMA
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
Manisha Manjari
✍️ नशे में फंसी है ये दुनियां ✍️
✍️ नशे में फंसी है ये दुनियां ✍️
राधेश्याम "रागी"
अमर काव्य
अमर काव्य
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
जीवन से ओझल हुए,
जीवन से ओझल हुए,
sushil sarna
शेर -
शेर -
bharat gehlot
दो पल देख लूं जी भर
दो पल देख लूं जी भर
आर एस आघात
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
Lohit Tamta
"हाथों की लकीरें"
Dr. Kishan tandon kranti
आज तक इस धरती पर ऐसा कोई आदमी नहीं हुआ , जिसकी उसके समकालीन
आज तक इस धरती पर ऐसा कोई आदमी नहीं हुआ , जिसकी उसके समकालीन
Raju Gajbhiye
वो जो आपकी नज़र से गुज़री अभी नहीं है,,
वो जो आपकी नज़र से गुज़री अभी नहीं है,,
Shweta Soni
मीठा गान
मीठा गान
rekha mohan
*सुख-दुख के दोहे*
*सुख-दुख के दोहे*
Ravi Prakash
ग़ज़ल:- मेरे ही क़त्ल का इल्ज़ाम मेरे सर आया...
ग़ज़ल:- मेरे ही क़त्ल का इल्ज़ाम मेरे सर आया...
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
पाँच सितारा, डूबा तारा
पाँच सितारा, डूबा तारा
Manju Singh
हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
* आओ ध्यान करें *
* आओ ध्यान करें *
surenderpal vaidya
Loading...