“आखिर क्यों?”
“आखिर क्यों?”
हर हाल में कलमकार
उतनी कल्पना संजो लेता है
अपने हृदय में
जितने से प्रतिकूलता में भी
अपनी लेखनी चला सके।
लेकिन प्रेम में दो लोग
उतना अहसास
क्यों नहीं बचा पाते
जितने से उम्र भर
प्रेम से जिया जा सके?
“आखिर क्यों?”
हर हाल में कलमकार
उतनी कल्पना संजो लेता है
अपने हृदय में
जितने से प्रतिकूलता में भी
अपनी लेखनी चला सके।
लेकिन प्रेम में दो लोग
उतना अहसास
क्यों नहीं बचा पाते
जितने से उम्र भर
प्रेम से जिया जा सके?