आखिर कौन
ब्रह्मांड की ऊर्जा
स्री ,पुरुष नहीं
होती,
पंचतत्व स्री
पुरुष नही
होते,
कर्म भी
स्री,पुरुष
नही होते,
धर्म का
मर्म, स्री,
पुरुष नही
होता,
भाग्य भी
पक्षपात
नही
करता,
फिर कौन है,
जिसने स्री
पुरुष से
जोड़ दिया
ब्रम्हांड को
पंचतत्व को
कर्म को,
धर्म को,
और
भाग्य को||