आखिरी कोशिश
इस अनोखी सी हयात में
एक, दो न हजारों दुष्करें
पार करनी पड़ती है हमें
जब तक जीते है तब तक
दुर्लभ-दुर्लभ ही नजर आती
ऊँची शिखर को पाने हेतु
संताप जो पार करनी पड़ती
कभी शिकस्त हम सबों को
न माननी चाहिए इस जग में
शिखर पंथ धुंधले दिखते हमें
श्रम और विश्वास वाली युक्ति
जो कि बनती आखिरी कोशिश।
जिन – जिनों ने किया प्रयत्न
वही पाया निज मुकाम अपना
बिन कोशिश के इस भुवन में
न किंचित, कतिपय होता यहां
प्रारंभ से जो करते जाते है श्रम
जोश, उत्साह, उमंग के संग-संग
आखिरी आखिरी तक जाने में
सभी उत्साह उमंग जाती है टूट
मानस करता छोड़ के इन्हें हम
बेबस, मजबूर होकर लूट जाए
आखिरी कोशिश ही अक्सर हमें
नैया को डूबने से बचा लेती यहां।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार