आखरी हिचकी
है नुक्स मुझमें ,
*माँ ने कभी बताया नही ।
चैन से सोता देख ,
मुझे माँ ने कभी जगाया नही ।।
शिकायतों का अंबार थी जिंदगी मेरी,
कर दरकिनार माँ ने कभी भगाया नही।।
थी दुआएँ माँ की मुझ पर बेपनाह,
सिकन्दर रहा हूँ सदा, किसी ने हराया नही।।
वो लोरियाँ, वो थपकियाँ ,वो झप्पियाँ और वो माथे पर चुम्बन सब है याद मुझे,
माँ जैसा किसी नेे मुझे सुलाया नही ।।
आज जो कुछ भी हूँ ये तो माँ की एक दुआ का असर है,
हर सांस में निकले जिसके दुआ, नैमत खुदा ने ऐसा बनाया नही।।
अपने हिस्से की तमाम ख़ुशी जो दुनिया को बांट दे ,
माँ वो है जिसकी नजर में कोई पराया नही।
मेरी भी बारी थी उन्हें सुख के दिन दिखाने के, कंधो पर दुनिया घूमाने के,*
माँ की एक आखरी हिचकी ने वो दिन दिखाया नही ।।
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✍️✍️ देवेंद्र