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6 May 2024 · 1 min read

आकांक्षा की पतंग

आकांक्षा की पतंग हो,
वास्तविकता की डोर हो!!
यूं अपनों का प्यार हो,
खुशियों का शोर हो!!

सपनों का आकाश हो,
समरसता के तिल हो!!
आत्मीयता का गुड़ हो,
राष्ट्र सारा तिलगुड़ हो!!

लोहड़ी की उस आग में,
बस भ्रष्टाचार खाक हो!!
कुशासन-रात छोटी होगी,
व्यवस्था का दिन लम्बा होगा!!

अन्धेरे से उजाले की ओर,
हमारा मार्गक्रमण होगा!!
हम सब ठानें तो निश्चित ही,
क्रान्ति नही, संक्रमण होगा!!

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

Language: Hindi
47 Views

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