आकलन
आये थे जो कायनात पर कवायद लिखने,
थोडा बेचा अधिक बिक गया देखा सबने.
……
चल छोड़ गाबरू,हांगे की ये सब बात,
तू बता कौन डाल-२ , कौन पात पात,,
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लेकर भाग उसने, अपना हिस्सा तय कर लिया,
रोक देते हैं, लोग रोब से,, तुमसे न हो पायेगा,
…….
दंगल के राज जानकर, दंग रह जाओगे ,
छोड़ो यार ये सब बातें, अनर्थ कह दोगे ,
…….
लोग देखते हैं,
लोग सुनते हैं,
मगर बोलते नहीं,
न्याय चाहिए,
मगर मिलेगा कैसे !!