आओ हम कोशिश करें दुखियो के भी उद्धार की।
गज़ल
काफिया- आर
रदीफ़- आर की
2122……2122……2122……212
आओ हम कोशिश करें दुखियो के भी उद्धार की।
झोपड़ी तक पहुँचे खुशबू अब हमारे प्यार की।
जब दिखेगा मुस्कुराता, चेहरा मुफलिस का तुम्हें,
तुम भी सोचेंगे कि खुशियाँ, मिल गईं संसार की।
जो पड़े फुटपाथ पर, उनकी तरफ देखो कभी,
कुछ हमारी जिम्मेदारी सब नहीं सरकार की।
प्यार में शर्तें हैं अब उपहार पैसा चाहिए,
प्यार में इतनी जरूरत है नहीं व्यापार की।
कोई भी हो जश्न तब वह रंग लाता और है,
जो हमें खुशियां लुटाए जैसे इक त्योहार की।
दोस्त के खातिर अगर कुर्बान भी हो जाऊ तो,
इस खबर को भी जरूरत है नहीं अखबार की।
हीर रांझा लैला मजनूं प्रेम के पर्याय हैं,
प्रेम में ढूबे जो प्रेमी उनका बेड़ा पार है।
……..✍️प्रेमी