आओ फिर से नेता सुभाष
नेता सुभाष आओ फिर से
आओ फिर से नेता सुभाष
हम राष्ट्रीयता जुनून लिये
उर में भावना-प्रसून लिये
रग-रग में रमता खून लिये
दुर्दानवता के दलन हेतु
हम चाह रहे पाना प्रकाश
भारतमाता रो रही आज
नेता को आती नहीं लाज
है त्राहि-त्राहि करता समाज
था कोढ़, कोढ़ में खाज हुई
अवरुद्ध हो रहा है विकास
शुचिता का रवि हो रहा अस्त
हिम्मतवर के हौंसले पस्त
कानून व्यवस्था हुई ध्वस्त
आतंकवाद के बढ़ने से
सिर पर मंडराता महानाश
हो रही कंटकित आजादी
है अर्थ खो रही अब खादी
रोके न रुक रही बर्बादी
पशुता नरता में मिटा भेद
सब भूल गये सच्चिदाभास
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महेश चन्द्र त्रिपाठी