आओ थोड़ा जी लेते हैं
विधा :- गीत
शीर्षक – आओ थोड़ा जी लेते हैं
शिकवे गिले मिटाओ साथी ,
गम को मिलकर पी लेते हैं ।
बहुत हुआ अब कहना-सुनना ,
आओ थोड़ा जी लेते हैं ।।
रात-रात भर तुम जागी गर ,
मैं भी नित तारें गिनता हूँ ।
अपनी उन सुन्दर यादों की ,
फटी हुई चादर सिलता हूँ ।
हृद पर उभरे हर घावों को ,
प्राण-प्रिये अब सी लेते हैं ।।
बहुत हुआ…….
जी लेते हैं ।।
एक ठाँव के हम-तुम पंक्षी ,
प्रेम जाल के दोनों कैदी ।
टूटे नहीं प्रेम के बंधन ,
विफल हो गई हर मुस्तैदी ।
यादें तुम्हें सताती हैं गर ,
हम भी तो हिचकी लेते हैं ।।
बहुत हुआ…….
जी लेते हैं ।।
हुआ आगमन जब से तेरा ,
महक उठी यह सारी गलियाँ ।
खिलने लगीं देखकर तुझको ,
मन की यह मुरझाई कलियाँ ।
आओ बैठो पास प्रिये अब ,
प्रणय गीत सुन ही लेते हैं ।।
बहुत हुआ…….
जी लेते हैं ।।