आओ कृष्णा !
कृष्णा हो किस कुंज मे ,
करो जगत निष्पाप,
दुष्टों से रक्षा करो ,
हरो व्याप्त संताप,
हरो व्याप्त संताप,
आज दुर्जन स्वतंत्र हैं,
गाते अपना राग ,
स्चार्थ ही मूल मंत्र है,
विदुर धर रहे मौन ,
फैलती देख वितृष्णा,
बढ़े प्रेम, सौहार्द ,
शीघ्र अब आओ कृष्णा !
-ओम प्रकाश नौटियाल