आओ ऐसे मनाये दिवाली
आओ ऐसे मनाये दिवाली
आओ सब मिलकर हम ऐसे मनाएंगे अब दिवाली
भूखे को अन्न देंगे और प्यासे को पिलायंगे पानी
सैकड़ो के जलाये पटाखे,फिर भी हाथ रहे अपने खाली
सूने घर में दिया न जला सको,तो काहे की बनी दिवाली
अपनों में बाटे मिठाई उपहार और खूब सजाई घर में रंगोली
ये खुशिया किस काम की गर न पोछा किसी आँख का पानी
अपने लिए तो हर पल जीते, कभी बन जाओ थोड़ा सा दानी
नंगे तन को कपडा देकर, कभी संवारो उनकी भी जिंदगानी
आग लगा के खुश होते हम , फैलाते प्रदुषण की बिमारी
लक्ष्मी पूजन के दिन, लक्ष्मी फूंके कैसे बने हम अज्ञानी
धनवानों संग खुशियां बांटे, निर्धन को बकते गाली
इंसानो में करे भेदभाव हम,फिर कैसे आये खुशहाली
राम नाम पे पर्व मनाते, की जिसने सबरी केवट की अगवानी
पथ भ्रष्ट हो हम भूल गए क्यों उनके जीवन दर्शन की कहानी
मन में फैला द्वेष भाव, और बने राम कृष्णा के पुजारी
क्यों जलाते दीप ख़ुशी के,जब दिलो में भड़की चिंगारी
गीता, रामायण हमे याद नही, फिर क्यों मनाते दिवाली
ख़ुशी अगर किसी को दे न सके,तो ये अभिनय है बेमानी
तन, मन धन से परिपूर्ण हो सब बोले मीठी वाणी
ऊँच नीच का भेद रहे न, करे सब भोजन एक थाली
आओ सब मिलकर ये ठाने अब बदलेंगे हम जिंदगानी
हंसा सके जब किसी रोते को,तब होगी सच्ची दिवाली
आओ सब मिलकर हम ऐसे मनाएंगे अब दिवाली
भूखे को अन्न देंगे और प्यासे को पिलायंगे पानी
**** डी. के. निवातियाँ******