आओ ऐसा एक भारत बनाएं
आओ ऐसा एक भारत बनाएं,
हम मजदूर क्रांति की मशाल जलाएं।
आओ ऐसा एक . . . . . .
शोषण अत्याचार का,
न नामोनिशां होगा।
मजदूर किसानो का ही राज,
चारों दिशां होगा।
छिन लेंगे हक अपना हम,
पुंजीपति लुटेरों से।
अपनी धरती अपना गगन,
अपना ही फिंजा होगा।
कांटों से भरी पगडंडी को,
फुलों सा एक राह बनाएं।
आओ ऐसा एक . . . . . .
सबको शिक्षा सबको दिक्षा,
न मांगे कोई भी भिक्षा।
हर हाथ में काम होगा,
हर खेत में पानी।
ऐसा ब्यवस्था बनायेंगे हम,
मन में है ठानी।
अपना ताज अपना राज,
अपना ही आवाज होगा।
सीने में दबी चिंगारी को,
शोलो सा इक आग बनाएं।
आओ ऐसा एक . . . . . .