आई विदा की बेला
आई विदा की बेला, चला अब दो हजार बीस
क्या खोया क्या पाया, बची हुई है टीस
बहुत घाव दे गया करोना, भरने में देर लगेगी
चले गए जो दुनिया से, याद नहीं बिसरेगी
न परिजन न संगी साथी, मौन अकेले चले गए
अटल सत्य केवल मृत्यु है, सुनसान जगत से चले गए
कितनी हुई तबाही जगत में, कितना है नुकसान हुआ
मानवता फिर भी भारी है, जीवन चक्र फिर शुरू हुआ
पहले भी आए हैं संकट, बीमारी भारी भारी
जीती है मानवता हरदम, संकट बीमारी हारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी