आईना
आईना
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आईने को
कौन दिखाए आईना?
हररोज आती हैं;
कई छवियां नई,
पर कोई भी,
टिकती नही !
आईना फिर रहा
अकेला का अकेला
ढूंढता कोई साथी नया
जिसने दिखाया
आईने को आईना
उसमें दिखा
आईना ही आईना
कितने आये?
कैसे आये?
सबको अपनी अपनी
दिखी ख़ूबसूरती
घंटों स्वयं को निहारती
बहुत ख़ुश
होता आईना
चले जाते सब
तो तन्हा होता आईना
ऐसे मे
आईने को
कौन दिखाये आईना !
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राजेश’ललित’