आई’ना देखूँ तो हैराँ हू-ब-हू तू
होश में कैसे रहूँ जब रू-ब-रू तू
आई’ना देखूँ तो हैराँ हू-ब-हू तू
रूह मेरी और तेरी एक है यूँ
मुझसे मेरी होने वाली गुफ़्तुगू तू
इस कदर छाया हुआ है इश्क़ तेरा
है ज़मीन-ओ-आसमाँ में कू-ब-कू तू
तू परी है या है तितली उड़ने वाली
या महब्बत की है कोई आबजू तू
उड़ चले यूँ इश्क़ में हम दो परिन्दे
आसमाँ को छूने वाली आरज़ू तू
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रू-ब-रू — सामने, आमने-सामने (तू)
हू-ब-हू — बिल्कुल, बिल्कुल ठीक (तू)
गुफ़्तुगू — वार्तालाप, बातचीत (तू)
कू-ब-कू — सर्वत्र (तू)
आबजू — नदी/नहर/धारा (तू)
आरज़ू — इच्छा, ख़्वाहिश, मनोकामना, चाहत (तू)