आंदोलन की जरूरत क्यों है
जब सरकार,
अच्छे दिन का सपना दिखा रही है।
तो फिर आंदोलन की जरूरत क्यों है?
आंदोलन की जरूरत इसलिए है,
क्योंकि सरकार जनता की आड़ में,
पूंजीपतियों की अच्छे दिन ला रही है।
जनता तो मंहगाई बेरोजगारी और गरीबी की मार झेल रही है।
पूंजीपति विश्व के टाप टेन सूची में,
अमीर से और अमीर हो रही है।
जब सरकार अच्छे . . . . . .
जब सरकार,
4 श्रम कोड का सपना दिखा रही है।
तो फिर आंदोलन की जरूरत क्यों है?
आंदोलन की जरूरत इसलिए है,
क्योंकि सरकार श्रमिकों की आड़ में,
उद्योगपतियों के पक्ष में कानून बना रही है।
आठ घंटे से 12 घंटे काम का समय बढ़ा कर,
तीन दिन छुट्टी का सब्जबाग दिखा रही है।
मई दिवस के इतिहास को खत्म कर,
पूंजीवाद की जोरदार पैरवी कर रही है।
जब सरकार अच्छे . . . . . .
जब सरकार,
कृषि बिल का सपना दिखा रही है।
तो फिर आंदोलन की जरूरत क्यों है?
आंदोलन की जरूरत इसलिए है,
क्योंकि सरकार किसानों की आड़ में,
कारपोरेट घरानों के बड़े बड़े गोदाम बनवा रही है।
जमाखोरी कालाबाजारी और मंहगाई बढ़ाकर,
देश में गरीबी भूखमरी बढ़ाने की तैयारी हो रही है।
दोगुनी आय का दाना डालकर,
शिकारी जाल बिछा रही है।
जब सरकार अच्छे . . . . . .
जब सरकार,
समान नागरिक संहिता का सपना दिखा रही है।
तो फिर आंदोलन की जरूरत क्यों है?
आंदोलन की जरूरत इसलिए है,
क्योंकि सरकार समानता की आड़ में,
आरक्षण खत्म कर लोगों को रोजगार से दूर कर रही है।
जब बोली भाषा और सांस्कृतिक एक समान नहीं है,
शिक्षा रोजगार और पगार (वेतन) एक समान नहीं है।
लोगों की रहन सहन जातियां एक समान नहीं है।
देश में इतनी विषमताएं हैं और एक समान संहिता कानून ला रही है।
जब सरकार अच्छे . . . . . .
नेताम आर सी