आँखो की बाते
मै क्यों जग रही हूँ…मुझे नींद क्यों नही आती,
ऐसा कहती अखियाँ…
दोनों आपस में बात कर रही…!
मिलने की है तड़प दोनों को
पर बीच में दीवार आ जाती
‘रो’ ‘रो’ के थक गई….!!
पर मिलना मुमकिन नहीं,
अपनी कथनी सुनाते सुनाते,
दोनों की नींद पता नहीं कहां उड़ गई…!!!