अ से अगर मुन्ने
अ, आ, इ । अ, आ, इ । अ, आ, इ। अ, आ,इ।
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अ से अगर मुन्ने , आ से आज यहाँ।
इ से इधर नहीं देखोगे तो क्या।।
याद करोगे कल, दिन यह आज का।। मेहनत से मंजिल है, समझे नहीं क्या।।
अ से अगर मुन्ने———————।।
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बोलो- ई,उ,ऊ। ई,उ,ऊ। ई,उ,ऊ। ई,उ,ऊ।
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ई से ईश्वर ने दिया है जो ज्ञान।
उ से उसको मुन्ने ,आज तु जान।।
ऊ से ऊपर देखो , अपना वह भगवान।
कर्म ही जीवन है, कर्म ही महान।।
अ से अगर मुन्ने —————————।।
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ए, ऐ, ओ। ए, ऐ, ओ। ए, ऐ, ओ। ए, ऐ,ओ।
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ए से एक बात तुम, यह भी याद रखना।
ऐ से ऐनक मुन्ने, सदा साफ रखना ।।
ओ से ऑफिसर ,चाहे तु बन जाये।
कदम नेकी से तु , कभी मत हटाना।।
अ से अगर मुन्ने———————।।
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औ,अं, अ: । औ,अं,अ:। औ,अं, अ:। औ,अं, अ:।
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औ से औरों की , नकल करकै।
अं से अंगार मुन्ने ,कल तु बनकै।।
अ: से अहम में , होगा क्या हाल ।
हो जायेगा राख भारत, इसमें जलकै।।
अ से अगर मुन्ने ————————–।।
रचनाकार एवं लेखक- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
पता- ग्राम- ठूँसरा, पोस्ट – गजनपुरा
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर – 9571070847