अहोई आठे(बाल कविता)
अहोई आठे(बाल कविता)
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दिवस अहोई आठे आया
माँ ने दिन भर कुछ न खाया
साँझ ढले ही बादल छाए
नभ में तारे दीख न पाए
जब तक तारे दीख न जाएँ
माँ की जिद है कुछ न खाएँ
हम बोले माँ कितने प्यारे
हमें समझ लो नभ के तारे
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451