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22 Oct 2022 · 1 min read

अहोई आठे(बाल कविता)

अहोई आठे(बाल कविता)
******************
दिवस अहोई आठे आया
माँ ने दिन भर कुछ न खाया

साँझ ढले ही बादल छाए
नभ में तारे दीख न पाए

जब तक तारे दीख न जाएँ
माँ की जिद है कुछ न खाएँ

हम बोले माँ कितने प्यारे
हमें समझ लो नभ के तारे
*********************
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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