Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2018 · 1 min read

अहिंसा

क्या कहा आज से हम गाँधी बन जायें?
सद्भावना और सौम्यता की आँधी बन जायें?
अरे! गीध के खाने भर जिसका माँस नहीं था
आज जिया कल का कोई आस नहीं था
लाखों चलते थे महज आवाज पर जिसकी
बातों का असर आज भी है समाज पर जिसकी
जो बोलता था शब्द वही संहिता बनी
छोड़ा असर जहां वहीं ठंढ़ी चिता बनी
शत्रु जले बिन आग के सब मात खा गये
मेरी नजर में तो वह दाल भात खा गये
हमारे आगे उसकी कोई बात नहीं है
हम कैसे माने जिसकी कोई जात नहीं है
हम हिन्दू है मुस्लिम हैं और सिक्ख ईसाई
हम सबने अपनी अलग अलग कौम बनायी
थे खाली पेट देश बेचा क्या बुरा किया
धन धान्य सब भरे हैं तुमने क्या भला किया
अरे! अग्रसर नवीनता की ओर हम हुए
धुसरित पड़े इतिहास को कभी नहीं छुए
मुझको कहां पता किसे फांसी सजा मिली
कौन सक्शियत कहां किसी बलिवेदी पर गिरी
समझाओ हमको हमने क्या बुरा किया
गांधी जी के नारे से सिर्फ ‘अ’ हटा दिया

Language: Hindi
612 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मनुष्य
मनुष्य
Johnny Ahmed 'क़ैस'
नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज की नाव ही बचपन था ।
नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज की नाव ही बचपन था ।
Rituraj shivem verma
नारी
नारी
Rambali Mishra
निराकार परब्रह्म
निराकार परब्रह्म
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
प्रकृति भी तो शांत मुस्कुराती रहती है
प्रकृति भी तो शांत मुस्कुराती रहती है
ruby kumari
दिल दिमाग़ के खेल में
दिल दिमाग़ के खेल में
Sonam Puneet Dubey
3112.*पूर्णिका*
3112.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चेतन वार्तालाप
चेतन वार्तालाप
Jyoti Pathak
इश्क़ जब बेहिसाब होता है
इश्क़ जब बेहिसाब होता है
SHAMA PARVEEN
भारत का ’मुख्यधारा’ का मीडिया मूलतः मनुऔलादी है।
भारत का ’मुख्यधारा’ का मीडिया मूलतः मनुऔलादी है।
Dr MusafiR BaithA
करवा चौथ घनाक्षरी ( हास्य)
करवा चौथ घनाक्षरी ( हास्य)
Suryakant Dwivedi
उत्तंग पर्वत , गहरा सागर , समतल मैदान , टेढ़ी-मेढ़ी नदियांँ , घने वन ।
उत्तंग पर्वत , गहरा सागर , समतल मैदान , टेढ़ी-मेढ़ी नदियांँ , घने वन ।
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
हे पवन कुमार
हे पवन कुमार
Uttirna Dhar
*साहित्यिक कर्मठता के प्रतीक स्वर्गीय श्री महेश राही*
*साहित्यिक कर्मठता के प्रतीक स्वर्गीय श्री महेश राही*
Ravi Prakash
सोना मना है
सोना मना है
Shekhar Chandra Mitra
भगवान शिव शंभू की स्तुति
भगवान शिव शंभू की स्तुति
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लम्बे सफ़र पर चलते-चलते ना जाने...
लम्बे सफ़र पर चलते-चलते ना जाने...
Ajit Kumar "Karn"
Labour day
Labour day
अंजनीत निज्जर
"दुनिया को दिखा देंगे"
Dr. Kishan tandon kranti
शीतलहर (नील पदम् के दोहे)
शीतलहर (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
नहीं खुशियां नहीं गम यार होता।
नहीं खुशियां नहीं गम यार होता।
सत्य कुमार प्रेमी
वक्त से पहले कुछ नहीं मिलता,चाहे कितना भी कोशिश कर लो,
वक्त से पहले कुछ नहीं मिलता,चाहे कितना भी कोशिश कर लो,
पूर्वार्थ
Destiny’s Epic Style.
Destiny’s Epic Style.
Manisha Manjari
भुला के बैठे हैं
भुला के बैठे हैं
Dr fauzia Naseem shad
मन ये मुस्कुराए
मन ये मुस्कुराए
Shinde Poonam
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
Dr Tabassum Jahan
ए दिल्ली शहर तेरी फिजा होती है क्यूँ
ए दिल्ली शहर तेरी फिजा होती है क्यूँ
shabina. Naaz
God O God
God O God
VINOD CHAUHAN
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कर ही बैठे हैं हम खता देखो
कर ही बैठे हैं हम खता देखो
Dr Archana Gupta
Loading...