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23 May 2024 · 1 min read

मनुष्य

आज ऐसा कुछ करो कि सत्य की विजय हो
ना मन में शंका-संशय ना मृत्यु का भय हो।
पग थमे ना आज तेरे तू हो केवल अग्रसर
तेरी वाणी की दहाड़ से आज एक प्रलय हो।
हो अचम्भा सबके मन में सहसा यह हुआ क्या
तेरे पदचिह्नों पे चलना सबका ही निर्णय हो।
वारि के भाँति तू बहे दिनकर सा तेरा तेज हो
तू लड़े जब भी समर उसमे सदैव अजय हो।
हो अमावस भी यदि तेरे मुख पे किन्तु कौमुदी
तेरे पौरूष को देखकर स्तब्ध यह समय हो।
मित्र क्या तू शत्रुओं को भी अपेक्षित मान दे
सर्वदा सिद्धांतों पे अडिग तेरा ह्रदय हो।
मृत्यु भी तेरे देह से जब जब आए लिपटने को
तेरे साहस को देखके उसको भी विस्मय हो।
तू काम क्रोध लोभ मोह दम्भ से परे रहे
प्रतिष्ठा व आदर्श तेरे चिंतन के विषय हो।
मनुष्य रूप में जना गया है तो मनुष्य बन
वह ही मनुष्य है जिसे मनुष्य से प्रणय हो।

जॉनी अहमद क़ैस

Language: Hindi
20 Views
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