Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Apr 2021 · 1 min read

अस्थमा दिवस

आज विश्व अस्थमा दिवस हैं,
यह प्रदूषित हवा का प्रकोप है,
जब हवा ही हो गई जहरीली हैं,
नित कटते हरे जंगलों की कमी हैं,
ऐसे ही कटते रहेंगें हरे भरे जंगल,
भयंकर परिणाम भुगतने होंगे कल,
विश्व अस्थमा दिवस पर हम सब प्रण करें,
विश्व का हर एक नागरिक एक एक पेड़ लगाए ,
जागना हैं , जगाना हैं सबको ,
यह संदेश पहुँचाना है सबको ,
आनेवाली पीढ़ी हमारी ले सकेगी,
शुद्ध हवा जब जाकर जी सकेगी!!
✍️चेतन दास वैष्णव✍️
गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा
05/05/020

Language: Hindi
306 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"शीशा और रिश्ता बड़े ही नाजुक होते हैं
शेखर सिंह
समझौता
समझौता
Dr.Priya Soni Khare
मंजिलें
मंजिलें
Santosh Shrivastava
जितना सच्चा प्रेम है,
जितना सच्चा प्रेम है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हज़ारों चाहने वाले निभाए एक मिल जाए
हज़ारों चाहने वाले निभाए एक मिल जाए
आर.एस. 'प्रीतम'
किसी से दोस्ती ठोक–बजा कर किया करो, नहीं तो, यह बालू की भीत साबित
किसी से दोस्ती ठोक–बजा कर किया करो, नहीं तो, यह बालू की भीत साबित
Dr MusafiR BaithA
गृहस्थ के राम
गृहस्थ के राम
Sanjay ' शून्य'
एक शब के सुपुर्द ना करना,
एक शब के सुपुर्द ना करना,
*प्रणय प्रभात*
*चार दिन की जिंदगी में ,कौन-सा दिन चल रहा ? (गीत)*
*चार दिन की जिंदगी में ,कौन-सा दिन चल रहा ? (गीत)*
Ravi Prakash
"अदा"
Dr. Kishan tandon kranti
भोलेनाथ
भोलेनाथ
Adha Deshwal
3131.*पूर्णिका*
3131.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रिश्तो से जितना उलझोगे
रिश्तो से जितना उलझोगे
Harminder Kaur
बदलाव
बदलाव
Shyam Sundar Subramanian
माया फील गुड की [ व्यंग्य ]
माया फील गुड की [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
होली
होली
Dr. Kishan Karigar
आज वक्त हूं खराब
आज वक्त हूं खराब
साहित्य गौरव
ग़ज़ल/नज़्म - मुझे दुश्मनों की गलियों में रहना पसन्द आता है
ग़ज़ल/नज़्म - मुझे दुश्मनों की गलियों में रहना पसन्द आता है
अनिल कुमार
सनातन सँस्कृति
सनातन सँस्कृति
Bodhisatva kastooriya
।।आध्यात्मिक प्रेम।।
।।आध्यात्मिक प्रेम।।
Aryan Raj
What consumes your mind controls your life
What consumes your mind controls your life
पूर्वार्थ
यूँ तो समन्दर में कभी गोते लगाया करते थे हम
यूँ तो समन्दर में कभी गोते लगाया करते थे हम
The_dk_poetry
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
बहुत कीमती है पानी,
बहुत कीमती है पानी,
Anil Mishra Prahari
चाहो न चाहो ये ज़िद है हमारी,
चाहो न चाहो ये ज़िद है हमारी,
Kanchan Alok Malu
पैसा बोलता है
पैसा बोलता है
Mukesh Kumar Sonkar
मन की डोर
मन की डोर
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
** बहाना ढूंढता है **
** बहाना ढूंढता है **
surenderpal vaidya
प्रबुद्ध लोग -
प्रबुद्ध लोग -
Raju Gajbhiye
Loading...