अशोक पुष्प मंजरी घनाक्षरी
अशोक पुष्प मंजरी 28
14 गुरू लघु युग्म
××××××××××××××××
देश का विकास देख नाम और काम,
देख कौन है महान सोच बार बार।
मातृभूमि आन हेतु त्याग दे विवाह,
वो सुजान साधता सदैव सार सार।
ओर छोर खींच तान देख देख सोच,
लोकतंत्र वस्त्र हो न जाय,
तार तार।
योग्य को चुनो अवश्य,छोड़ काम धाम,
डार डार डार वोट डार डार डार।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
6/11/23