अविराम
आसमाँ छूने की आशा मे हम चलते जाएंगे ।
पांव भले ही थक जाए हम आगे बढते जाएंगे ।
मंजिल पाकर ही वापस लौट के आएंगे ।
चाहे विजय हो या पराजय ।
हम कोशिश करते जाएंगे ।
हम भले ही हारे ।
एक दिन फूलो का हार जरूर पहन जाएंगे ।
ऐसा तभी होगा जब हम कोशिश करते जाएंगे ।
आप की एक कोशिश ही आपको ।
दिला सकती है वह मुकाम ।
बहता हुआ पानी गर रूक जाए तो क्या हो ।
जब तक पहुंचे न धारा सागर तक ।
तब तक सरिता चलती जाएं ।
नदियो का एक ही नारा ।
हम तो तभी दम लेंगे ।
जब तक हो न स्वप्न पूरा ।
पत्थर को काटती हुई ।
अपनी मार्ग बनाती है ।
गर बहती न नदिया तो ।
पहुंच न पाती सागर तक ।
हाथो मे छाले पङने दो ।
पैरो को तुम जकङने दो ।
जब तक है तुम्हारे अंदर जोश ।
चाहे कर ले कुछ भी लोग ।
बस हो अपनी एक ही सोच ।
चाहे कुछ भी लोग कहेंगे ।
हम तो अपने मंजिल को पाने मे डटे रहेंगे ।
शिक्षा मे तुम तर्क लगाओ ।
अपने जीवन मे फर्क लाओ ।
अंधाधुंध जा रहे हो रटे पे रटे ।
आगे क्या है खाई या मंजर कुछ भी नही पता ।
मंजिल लोगो को मिल ही जाती है ।
जब हो उनको पते सही रास्ते ।
जिंदगी मे सबसे बङे है ।
हारे फिरते है जो मारे -मारे ।
हार से भी घातक है कोशिश छोड़ देना ।
तुम चलते रहो नित अविराम ।
पृथ्वी रूक जाए तो क्या हो ।
जब किसी का दिल टूट जाए तो क्या हो ।
हार गये तो क्या है ।
मन से तो न हारे ।
कोशिश करो उठो एक बार फिर ।
देखो फिर क्या हो नजारे ।
हारे से हाहाकार मत मचाओ ।
धैर्य, लगन, संतोषपूर्वक से नैया पार लगाओ ।
अभिराम बनोगे जब अविराम चलोगे ।
⏰⏰Rj Anand Prajapati ??