अवधी लोकगीत
कउनौ सौतिन से नाही बतियाव बलमा
दिलवा हमहिन से खाली लगाव बलमा
कउनौ०—–
जाड़े म कांपी जौ थर थर बदनवा
साँच मानौ बलमा ई मोरा कहनवा
हमका गर्म रजैया बनाव बलमा
कउनौ सौतिन०——
गर्मिक महीना जौ मने नाहि भावै
जेठ कै दुपहरी जौ तुहका सतावै
ये ही झुलनी के छैंया जुड़ाव बलमा
कउनौ सौतिन०—
झिमिर झिमिर बरसै जौ बरखा बदरिया
छतुरी कै काम नाही प्रीतम सँवरिया
हमरे ओढ़नी के निचवा लुकाव बलमा
कउनौ सौतिन०—
प्रीतम श्रावस्तवी
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