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26 May 2024 · 2 min read

दूध का वैज्ञानिक विश्लेषण,

“दूध का वैज्ञानिक विश्लेषण ”
दूध का वैज्ञानिक विशलेषण,प्रकृति प्रेम बरसाता।
बकरी,भेंड़,भैंस, ऊँटनी,घोड़ी हो ,गधी या गोमाता।
मानव-मानव ही नहीं,बरन मानव पशु में भी नाता।
ईको सिस्टम संतुलित रहेगा तुम नहीं भूलना नाता।

तारा माँ की आँखों का ,बनना क्यों मुझको भाता।
मुझे ज्ञात है भ्रष्ट कर्म से ”मां” का ही दूध लजाता।
माँ का दूध संजीवन है ! मैं दुनियाँ को ये बतलाता।
यही एक कारण है साथी ! जो दृढ़ करता है नाता।

आज भी ये बात दुनियाँ जानती है।
दूध को ही संपूर्ण आहार मानती है।
दूध में होते हैं, विटामिन ए और बी।
स्वस्थ रहते नेत्र ,होती नहीं रतौंधी ।

पोटेशियम और विटामिन “बी- बारह”।
कर देता “तंत्रिका तंत्र” की पौ बारह।
फास्फोरस अरु कार्बोहायड्रेट,देता ऊर्जा।
प्रोटीन करती मरम्मत जो टूटे कोई पुर्जा।

दूध से ही मिलता है, कैल्शियम और प्रोटीन।
बीस प्रतिशत ब्हे और अस्सी प्रतिशत केसीन।
दूध में पाये जाते हैं सब …… एंटी आक्सीडेंट।
प्रदूषण के दुष्प्रभाव से, त्वचा बचाते परमानेंट।

आजकल बाजार मे,कंपनियों की लगी होड़ है।
दूध टोंड, डबल टोंड,अरु फुलक्रीम बेजोड़ है।
अगर नहीं है दूध पसंद, तो खाएं कलाकन्द।
पनीर खाएँ, छाँछ पियें,दही का भी लें आनंद।

दही में दूध से ज्यादा प्रोटीन, कैल्शियम का वादा।
खनिज, विटामिन, पोषक तत्व होते इसमें ज्यादा।
छाँछ भी तो होता है, इक प्रोबायोटिक आहार।
सूक्ष्म जीव होते जो इसमें वो आँत करें गुलजार।

आँत करे गुलजार कि ‘मट्ठा’ पाचन शक्ति बढाये।
खट्टा-खट्टा स्वाद छाँछ का ,तन-मन को भा जाये।
दुधारू पशु उईसे अच्छा रिश्ता जब मानव रख पाए।
जैव विविधता संरक्षण का तभी मजा चख पाए।।

“गांव गाय अरु घास बढ़ाओ
शहरीकरण नहीं उपचार”!

बढ़ते लालच का सर्वाधिक,पर्यावरण ही बना शिकार।
बन्द करो पोली पैकेजिंग, सादा जीवन उच्च विचार ।।

सार्वजनिक वाहन अपनायें जल संचय को करें नमन।
उपजायें बायो गैस ! मगन हो, सौर ऊर्जा और पवन।।

दूषित गैसें चिमनी से निकलें,धरा के भीतर उन्हें दबायें।
स्वच्छता बढ़ाएँ,सही रीति से,कूड़ाकचरा भी निपटाएं।।

ऊर्जा की खपत करें कम , हम ऐसे उपकरण लगाएं।
ओल्ड खटारा उपकरणों का, निपटारा भी करवाएं ।।

महासागरीय और भूतापीय ऊर्जा का भी विस्तार करें।
हाइड्रोजन के उत्पादन में,खुशहाली के ज़्यादा आसार।।

आपदा प्रवंधन बेहतर हो,अरु कम ईंधन खपत सराहें।
नदी ,तालाब ,बाबड़ी शोधें, “जल” जीवन यदि चाहें।।

सूखारोधी बीज की नस्लें,फाइबर युक्त पौष्टिक फसलें।
ए.सी.फ्रिज से दूर चलें हम हरियाली संग इनको बदलें।।

यात्रा प्लेन की महँगी कर दें ,और कर दें रेल को सस्ता।
तो पर्यावरण सुरक्षा होगी , सुधरेगी इकोनॉमी खस्ता।।

है दलदली भूमि धरती पर, जैव विविधता का भण्डार।
गांव,गाय अरु घास बढ़ाओ,शहरीकरण नहीं उपचार।।

Language: Hindi
65 Views

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