अलाव
सर्द आहों से दिल में अलाव जलाया।
उसके स॔ग ही तेरा वो लगाव जलाया।
रोज़ पलटती रहती थी जिन्हे यूं ही मैं
तेरी यादों का मैनें वो जमाव जलाया।
मात खाती थी बरहम हो मैं जिससे।
दिल से मैंने तेरा हर अभाव जलाया।
अंगङाईयाँ जो लेते थे रूह में मेरी
रात बाँध बाँध ,हर वो चाव जलाया।
कहीं भर न जाये नासूर ऐ मोहब्बत
कल रात एक एक मैंने घाव जलाया।
kaur surinder