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31 May 2024 · 1 min read

अरे धर्म पर हंसने वालों

अरे धर्म पर हंसने वालों,
जरा गौर से सोचो तुम,
धर्म की जब- जब हानि हुई है,
धरा टिकी है या फिर तुम?

किसी धर्म की हंसी उड़ना ,
क्या लगता है ठीक तुम्हे?
राघव हो या फिर माधव,
जग में ईश एक ही है।

कभी किसी के धर्म को,
हम तो कभी न हंसते है,
लेकिन तुम बेशर्म बहुत हो,
तुमको समझ न आता है।

क्या साधु संतों की वाणी,
तुमको लगती झूठी है?
भागवत,पुराण,मानस ,गीता
तुमको क्यों लगती फीकी हैं?

अरे अभी भी सोच लो जरा ,
समय तुम्हारे पास है,
मृत्यु समय धर्मराज ही होगें,
तब क्या उत्तर दोगे तुम।

हरि – हर निंदा जो सुनता है,
पाप होता गोघात सा,
फिर भी तेरे समझ न आए,
धिक्कार है तेरे जन्म का।

भारतवर्ष की बेटी हूं,
करारा जवाब मैं देती हूं,
जो भी मेरे मार्ग में आए,
जड़ से उखाड़ फेक देती हूं।

अनामिका तिवारी “अन्नपूर्णा “✍️✍️

Language: Hindi
151 Views

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