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8 Feb 2024 · 1 min read

अरमान

पंछियों सी
चहचहाना चाहती हूँ
गीत कोई नया
गुनगुनाना चाहती हूँ
जिंदगी तू अगर
दे दे मौका
थोड़ा सा हँसना
मुस्कुराना चाहती हूँ

पकड़ लूँ रंग – बिरंगी
किसी तितली को
थाम लूँ चिड़िया के
नन्हें से बच्चे को
दोनों हाथों में

भीगूँ रिमझिम बरसते
सावन की बूँदों में
चलाऊँ नाव फिर से
कागज की पानी में

बचपन की सारी
शरारतें और नादानियाँ
फिर से एक बार
दोहराना चाहती हूँ
जिंदगी तू अगर
दे दे मौका….!!!

रात को छत पर‌ लेटे हुए
करूँ तारों की गिनती
लिपट जाऊँ पापा के सीने
देखूँ आसमान में जब
चमकती हुई बिजली

गोद में दादा – दादी की लेटकर
फिर सुनूँ कोई कहानी
थक कर सो जाऊँ माँ के
शीतल ममता भरे आँचल‌ में

जिंदगी की ऊँची – नीची
राहों में‌ फिर वही
मासूम सी नटखट बच्ची
बन जाना चाहती हूँ
जिंदगी तू अगर
दे दे मौका….!!!

रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत) ।
वर्ष :- २०१३.

Language: Hindi
214 Views
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