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27 Oct 2020 · 1 min read

अरमान

भटकते हैं
जो राह से
नहीं पहुंचते
वो मंज़िल तलक
रह जाती है
दिल में
डोली
अरमानों की

सपने संजोए
बैठी है बिटिया
मिलेगा योग्य
संस्कारी राजकुमार
होता सामना उसका
दहेज लोलुप
अत्याचारियों से
बिखर जाती
डोली अरमानों की

पालते माता पिता
लाड़ दुलार से
बच्चों को
छोड देते
बुढ़ापे में
जब वो अकेला
टूट जाती उनकी
डोली अरमानों की

होते वीर शहीद
देश पर
करते हैं गर्व हम
जब गद्दारी करते
कुछ देशद्रोही
जाती है टूट डोली
अरमानों की

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव

Language: Hindi
543 Views
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