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13 Sep 2018 · 1 min read

अमर हो तुम विवेकानंद

धन्य है भारत की धरती यहां हुए विवेकानंद
सदा तुम्हें हम शीश झुकाते अमर हो तुम विवेकानंद।
जनवरी 12 साल 1863 था पावन दिन वो
दिया हमें संत नमन बारम्बार उस माँ को।
नाम नरेंद्र थे ह्रष्ट पुष्ट और थे शौर्यवान
सबको आकर्षित करते तुम था ऐसा आकर्षण।
कुश्ती धुडसवारी और तैरने में निपुण थे विवेकानंद—–

25 वर्ष की आयु में मिले गुरु रामकृष्ण परमहंस से
थी जिज्ञासा गुरु दर्शन की पूरी होई वो उनसे।
साल 1893 दिन 11 सितम्बर गये शिकागो धर्म संसद में
संकीर्णता से परे मानवता से ओत प्रोत दिया भाषण उसमें।
न्यूयॉर्क क्रिटिक और प्रो राइट ने की प्रशंसा तुम्हारी विवेकानंद——

वेदांत समाज की स्थापना की सन् 1896 में अमेरिका में
बिना भेदभाव के गये संबोधन करने तुम यूरोप में।
1899 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की गुरू के नाम पर
निस्वार्थ सेवा की पूरे संसार को माना अपना घर।
धर्म को राष्ट्रीय जीवन का आधार माना तुमने विवेकानंद–

स्वतन्त्रता थी प्रिय तुम्हें देशभक्ति थी कूट कूटकर भरी हुई,
शक्ति और निर्भयता का संदेश दिया विदेशी शक्ति थी डरी हुई।
जातिवाद का खंडन अस्पृश्यता का खंडन करते रहते थे सदा,
स्त्रियों के उत्थान और सामाजिक एकता पर बल देते रहते थे सदा।
थी गहरी आस्था भारतीय संस्कृति में पुजारी थे तुम विवेकानंद–
——–

अशोक छाबडा
01012017

Language: Hindi
218 Views
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