अभी समय है
अभी समय है
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उठो, जाग जाओ
समय की पुकार सुनो,
न उसका उपहास करो
समय तुम्हें बार बार पुकार रहा है
शायद ये अंतिम बार हो।
कम से कम अब तो जाग जाओ
आलस्य छोड़ो, समय का सम्मान करो
ऐसा न हो आज समय की उपेक्षा
कल तुम्हें भारी पड़ जाये,
माथा पीटने और पछताने के सिवा
कुछ और न हाथ आये।
फिर किस्मत को दोष दोगे
जिसका कोई मतलब न होगा,
लाख सफाई दोगे,वापस कुछ न मिलेगा
जीवन भर का दर्द जरुर उभर आयेगा
हाथ मलने के सिवा कुछ न रह जायेगा
आज समय की ये जो तुम उपेक्षा कर रहे हो
तुम्हारे लिए नासूर बन जाएगा।
फिर पश्चात या क्षमा याचना से भी
ये समय नहीं पसीजेगा,
बल्कि तुम्हें मुंह ही चिढ़ायेगा
तुम्हारी हंसी ही उड़ायेगा
और सिर्फ रुलाएगा।
इसलिए अभी भी जाग जाओ
जो बीत गया उसका शोक न करो
आज तो अब समय के साथ चलो
समय की पुकार को स्वीकार करो।
अच्छा होगा अब ज्यादा सोच विचार न करो
उठो!जाग जाओ! अभी भी समय है
समय तुम्हें आज फिर से जगा रहा है
क्योंकि ये समय भी तुम्हारे इंतज़ार में न रुकेगा
चलना और चलते रहना उसका कर्म है
वो अपना कर्म तो करता ही रहेगा
आगे और सिर्फ आगे ही बढ़ेगा।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
८११५२८५९२१
© मौलिक स्वरचित