**अभी भी है**
दुखी तो बहुत है कविताएं मैंने,
सुना है कई साहित्यकारों को,
कलम रुकती नहीं,
जज्बा अभी भी है।
कट रही शाखाएं,
मीठी तलवारों से,
संविधान को बचा लो वक्त अभी भी है।
समता का गीत गाता हूं,
न्याय की राह चलता हूं
अत्याचारों की बारिश सेहता अभी भी हूं।
नारायण अहिरवार
अंशु कवि
सेमरी हरचंद जिला होशंगाबाद
******** मध्य प्रदेश
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