अभी तो कुछ बाकी है
जानेवाले मुसाफिर (उम्र)
रुक जाओ जरा
न आने दो जरा
अभी तो मैंने नहीं देखा
खुल के कोई बसंत
अभी तो नहीं आया
मेरे जीवन में कोई महंत
अभी तो कुछ बाकी है
अभी तो राह की पगडंडियों
की मंजिल बाकी है।
अभी तो जीवन के फूल की
सुगंध लेनी बाकी है।
अभी तो जीवन के अंधेरे
में उजाले आने बाकी हैं।
अभी तो कुछ बाकी है
जानेवाले मुसाफिर
रुक जाओ जरा (तनिक)
अभी तो जीवन के आँगन
में आत्मविश्वास का बरसना बाकी है।
-मीरा ठाकुर
आबू धाबी, यू. ए. ई.